बहार आयी मगर इस दिल की वीरनी नहीं जाती - The Indic Lyrics Database

बहार आयी मगर इस दिल की वीरनी नहीं जाती

गीतकार - राजिंदर कृष्ण | गायक - लता | संगीत - सी रामचंद्र | फ़िल्म - शगूफा | वर्ष - 1953

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आ आ आ आ ऽऽऽऽ
बहार आयी मगर इस दिल की वीरनी नहीं जाती
चला आ, ख़ाक वीरानों की अब छानी नहीं जाती
क़सम तेरी तेरे ग़म में ये हालत हो गयी मेरी
के सूरत मौत से भी अब तो पहचानी नहीं जाती

अपना पता बता दे या मेरे पास आ जा
दिल है उदास आ जा-2

दम रुक गया लबों पर आवाज़ आखरी है
मेहमान कोई दम की, मजबूर ज़िंदगी है
ले दे के रह गयी है मरने की आस आ जा
दिल है उदास आजा-2

अपना पता बता दे ...

रुकने लगी हैं लवज़ें थर्रा रही हैं आँखें
मूँह फेर कर जहाँ से अब जा रही हैं आँखें
होठों पे इल्तेजा है बस एक बार आ जा
दिल है उदास आजा-2

अपना पता बता दे ...

{ःआPPY/FआSट VERSईOण: }

अपना पता बता दे या मेरे पास आ जा
दिल है उदास आ जा-2

वीरान मेरे दिन हैं सुनसान मेरी रातें
होती हैं ग़म से दिल की तनहाईयों में बातें
मायूस हो गयी है मजबूर आस आ जा
दिल है उदास आजा-2

अपना पात बता दे ...

दिल में छुपा छुपा के रखा है प्यार तेरा
जीने न देगा अब तो ये इन्तेज़ार तेरा
बैठी है घर बनाके इस दिल में प्यास आ जा
दिल है उदास आजा-2

अपना पात बता दे ...

आयी कईं बहारें गुज़रे कईं ज़माने-2
याद आये दिल को कितने भूले हुए फ़साने
आँखों में है अभी तक जल्वों की प्यास आ जा
दिल है उदास आजा-2

अपना पात बता दे ...
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