तेरा मेरा प्यार अमर फिर क्यों मुझको लगता है दार - The Indic Lyrics Database

तेरा मेरा प्यार अमर फिर क्यों मुझको लगता है दार

गीतकार - हसरत जयपुरी | गायक - लता मंगेशकर | संगीत - शंकर, जयकिशन | फ़िल्म - असली नक़्ली | वर्ष - 1962

View in Roman

तेरा मेरा प्यार अमर, फिर क्यों मुझको लगता है डर
मेरे जीवन साथी बता, दिल क्यों धड़के रह-रह करक्या कहा है चाँद ने, जिसको सुनके चाँदनी
हर लहर पे झूमके, क्यों ये नाचने लगी
चाहत का है हरसू असर, फिर क्यों मुझको लगता है डरकह रहा है मेरा दिल, अब ये रात न ढले
खुशियों का ये सिलसिला, ऐसे ही चला रहे
तुझको देखूँ देखूँ जिधर, फिर क्यों मुझको लगता है डरहै शबाब पर उमंग, हर खुशी जवान है
मेरी दोनों बाहों में, जैसे आस्मान है
चलती हूँ मैं तारों पर, फिर क्यों मुझको लगता है डर