ये पहाड़ रोंड दाले कह दो की मुहब्बत से ना तकराये - The Indic Lyrics Database

ये पहाड़ रोंड दाले कह दो की मुहब्बत से ना तकराये

गीतकार - कैफ भोपाली | गायक - लता मंगेशकर | संगीत - अनिल बिस्वास | फ़िल्म - मान | वर्ष - 1954

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ये पहाड़ रोंद डाले के ज़मीन सीप डाले
न दबे ना दब सकेंगे कभी प्यार करने वालेकह दो
कह दो कि मुहब्बत से ना टकराये ज़माना
कह दो कि मुहब्बत से ना टकराये ज़माना
आसान नहीं प्यार के दीपक को बुझाना
कह दो
कह दो कि मुहब्बत से ना टकराये ज़माना
कह दोआकाश से टकरायेगी फ़रियाद किसी की
आकाश से टकरायेगी फ़रियाद किसी की
हिल जायेगा संसार
हिल जायेगा संसार ज़मीँ काँप उठेगी
सूरज को मिलेगा ना सितारों को ठिकान
कह दो
कह दो कि मोहब्बत से ना टकराये ज़माना
कह दोआहों में वो शोलें हैं के छुप जायें हवाएं
आहों में वो शोलें हैं के छुप जायें हवाएं
जल जाये झुलस जाये सुलग जायें घटाएं
उड़ जायें धुआँ बन के ज़माने का ज़माना
कह दो
कह दो कि मुहब्बत से ना टकराये ज़माना
कह दोहम सर से कफ़न बाँध के आयें है मुक़ाबिल
हाथों पे लिये जान तो ठोकर में लिये दिल
हाथों पे लिये जान तो ठोकर में लिये दिल
ऐ मौत किसी और को मरने से डराना
कह दो
कह दो कि मुहब्बत से ना टकराये ज़माना
कह दो