दिल अपना मयकाशी का तलबगार भी नहीं - The Indic Lyrics Database

दिल अपना मयकाशी का तलबगार भी नहीं

गीतकार - संत दर्शन सिंह जी महाराज | गायक - गुलाम अली | संगीत - अल्लाहुद्दीन खान | फ़िल्म - कलाम-ए-मोहब्बत (गैर फिल्म) | वर्ष - 1992

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दिल अपना मयकशी का तलबगार भी नहीं
हाँ वो अगर पिलायें तो इन्कार भी नहींअहद-ए-वफ़ा की सुबहो का क्या ज़िक्र दोस्तो
अहद-ए-वफ़ा की सुबहो के आसार भी नहींसूना पड़ा है देर से मयख़ाना-ए-वफ़ा
साक़ी का ज़िक्र क्या कोई मयख़ार भी नहींगुलशन उजाड़ हो गया दुनिया बदल गई
क्या ढूँढते हो गुल के यहाँ ख़ार भी नहीं'दर्शन' न पूछो ज़ुल्मत-ए-दुनिया-ए-आशीक़ी
कोई चराग़ अब तो सर-ए-दार भी नहीं