किसी पत्थर की मूरत से मोहब्बत का इरादा है - The Indic Lyrics Database

किसी पत्थर की मूरत से मोहब्बत का इरादा है

गीतकार - साहिर लुधियानवी | गायक - महेंद्र कपूर | संगीत - रवि | फ़िल्म - हमराज़ | वर्ष - 1967

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किसी पत्थर की मूरत से मोहब्बत का इरादा है
परस्तिश की तमन्ना है, इबादत का इरादा है
जो दिल की धड़कनें समझे, न आँखों की जुबाँ समझे
नज़र की गुफ़्तगू समझे, ना जज़्बों का बयाँ समझे
उसी के सामने उसकी शिकायत का इरादा है
सुना है हर जवाँ पत्थर के दिल में आग होती है
मगर जब तक ना छेड़ो शर्म की पर्दे में सोती है
ये सोचा है के दिल की बात उस के रूबरू कह दे
नतीजा कुछ भी निकले आज अपनी आरजू कह दे
हर एक बेजा तकल्लूफ़ से बग़ावत का इरादा है
मोहब्बत बेरूख़ी से और भड़केगी, वो क्या जाने
तबीयत इस अदा पे और फड़केगी, वो क्या जाने
वो क्या जाने के अपना किस क़यामत का इरादा है