बहार आई, खिली कलियाँ - The Indic Lyrics Database

बहार आई, खिली कलियाँ

गीतकार - साहिर | गायक - लता | संगीत - श्याम सुंदरी | फ़िल्म - अलिफ़ लैला | वर्ष - 1953

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बहार आई, खिली कलियाँ, हँसे तारे, चले आओ
हमें जीने नहीं देते ये नज़ारे, चले आओ
बहार आई खिली कलियाँ

ज़ुबाँ पर आह बन-बन के तुम्हारा नाम आता है
मुहब्बत में तुम्हीं जीते, हमीं हारे, चले आओ
हमें जीने नहीं देते ...

कहीं ऐसा न हो दिल की लगी दिल ही को ले डूबे
बुझाए से नहीं बुझते ये अंगारे चले आओ
हमें जीने नहीं देते ...$