भरी दुनिया में आखिर दिल को समझाने कहाँ जाएँ - The Indic Lyrics Database

भरी दुनिया में आखिर दिल को समझाने कहाँ जाएँ

गीतकार - शकील बदायुँनी | गायक - मोहम्मद रफ़ी | संगीत - रवि | फ़िल्म - दो बदन | वर्ष - 1966

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भरी दुनिया में आखिर दिल को समाझाने कहाँ जाएँ
मोहब्बत हो गई जिनको वो दीवाने कहाँ जाएँ
लगे हैं शम्मा पर पहरे ज़माने की निगाहों के
जिन्हें जलने की हसरत है वो परवाने कहाँ जाएँ
सुनाना भी जिन्हें मुश्किल, छुपाना भी जिन्हें मुश्किल
ज़रा तू ही बता ऐ दिल, वो अफ़साने कहाँ जाएँ
नज़र में उलझने, दिल में है आलम बेकरारी का
समझ में कुछ नहीं आता, सुकून पाने कहाँ जाएँ