मुहब्बत पुरुष कभी ऐसी भी हलत पैई जाति है - The Indic Lyrics Database

मुहब्बत पुरुष कभी ऐसी भी हलत पैई जाति है

गीतकार - डी एन मधोकी | गायक - के एल सहगल | संगीत - खुर्शीद अनवर | फ़िल्म - परवाना | वर्ष - 1947

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मुहब्बत में कभी ऐसी भी हालत पाई जाती है (२)
तबीयत और घबराती है जब बहलाई जाती है (२)झिझक कर गुफ़्तगू करना है अपना राज़ कह देना (२)
इसी नाज़ुक सी पर्दे में (२) तमन्ना पाई जाती है
इसी नाज़ुक सी पर्दे में तमन्ना पाई जाती है
मुहब्बत में कभी ऐसी भी हालत पाई जाती हैमोहब्बत दिल में छुप सकती है आँखों में नहीं छुपती (२)
ज़बाँ खामोश है लेकिन (२) नज़र शरमाई जाती है
ज़बाँ खामोश है लेकिन नज़र शरमाई जाती है
मुहब्बत में कभी ऐसी भी हालत पाई जाती है
तबीयत और घबराती है जब बहलाई जाती है