वो तो खुशबु है हवाओं मन बिखर जाएगा - The Indic Lyrics Database

वो तो खुशबु है हवाओं मन बिखर जाएगा

गीतकार - परवीन शकीरो | गायक - गुलाम अली | संगीत - गुलाम अली, रफीक हुसैन | फ़िल्म - लम्हा लम्हा (गैर-फिल्म) | वर्ष - 1993

View in Roman

वो तो ख़ुश्बू है हवाओं में बिखर जायेगा
मसअला फूल का है फूल किधर जायेगाहम तो समझे थे के एक ज़ख़्म है भर जायेगा
क्या ख़बर थी के रग़-ए-जाँ में उतर जायेगावो हवाओं की तरह ख़ाना-ब-जाँ फिरता है
एक झोँका है जो आयेगा गुज़र जायेगावो जब आयेगा तो फिर उसकी रिफ़ाक़त के लिये
मौसम-ए-गुल मेरे आँगन में ठहर जायेगाआख़िरश वो भी कहीं रेत पर बैठी होगी
तेरा ये प्यार भी दरिया है उतर जायेगा