बदनसीबी का गिला ऐ दिल-ए-नाशाद न कर - The Indic Lyrics Database

बदनसीबी का गिला ऐ दिल-ए-नाशाद न कर

गीतकार - सरशर सैलानी | गायक - लता | संगीत - अल्ला रक्खा | फ़िल्म - बेवफा | वर्ष - 1952

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बदनसीबी का गिला ऐ दिल-ए-नाशाद न कर
हाय फ़रियाद न कर

हर घड़ी ऐश का सामान कहाँ रहता है
ज़िंदगी भर कोई महमान कहाँ रहता है
ग़म बड़ी चीज़ है इस चीज़ को बरबाद न कर

रोने वाले तेरे रोने पे हँसी आती है
जो घड़ी बीत गयी वो भी कभी आती है
जब वो ज़िन्ना नहीं तब से तो उन्हें याद न कर

ये तेरा अश्क़ बहाना कभी और आहें भरना
प्यार की रित नहीं प्यार को रुसवा करना
घुट के मर जा मगर ऐ दिल कभी फ़रियाद न कर$