जबसे उसने शहर को छोड़ा हर रास्ता सुनसान हुआ - The Indic Lyrics Database

जबसे उसने शहर को छोड़ा हर रास्ता सुनसान हुआ

गीतकार - मोहसिन नकवीक | गायक - गुलाम अली | संगीत - गुलाम अली | फ़िल्म - परछाईयां (गैर-फिल्म) | वर्ष - 1992

View in Roman लेकिन मेरे सामने आकर और भी कुछ अन्जान हुआ
'>

जबसे उसने शहर को छोड़ा हर रस्ता सुनसान हुआ
अपना क्या है सारे शहर का इक जैसा नुकसान हुआसहरा की मुँह-ज़ोर हवायें औरों से मन्सूब हुईं
मुफ़्त में हम आवारा ठहरे मुफ़्त में घर वीरान हुआमेरे हाल पे हैरत कैसी दर्द के तन्हा मौसम में
पत्थर भी रो पड़ते हैं इन्सान तो फिर इन्सान हुआउसके ज़ख़्म छुपा कर रखिये ख़ुद उस शख्स की नज़रों से
उससे कैसा शिकवा कीजे वो तो अभी नादान हुआयूँ भी कम-आमेज़ था 'मोहसिन' वो इस शहर के लोगों में
लेकिन मेरे सामने आकर और भी कुछ अन्जान हुआ