शाम रंगीं हुई है तेरे आंचल की तराहो - The Indic Lyrics Database

शाम रंगीं हुई है तेरे आंचल की तराहो

गीतकार - रवींद्र जैन | गायक - उषा?, सुरेश वाडकर | संगीत - रवींद्र जैन | फ़िल्म - कानून और मुजरिम | वर्ष - 1981

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सु: शाम रंगीन हुई है तेरे आँचल की तरह
सुर्मई रंग सजा है तेरे काजल की तरह
उ:पास हो तुम मेरे दिल के मेरे आँचल की तरह
मेरी आँखों में बसे हो मेरे काजल की तरहउ:मेरी हस्ती पे कभी यूँ कोई छाया ही न था
सु: तेरे नज़्दीक मैं पहले कभी आया ही न था
उ:मैं हूँ धरती की तरह तुम किसी बादल की तरह
सु: सुर्मई रँग सजा है तेरे काजल की तरहउ:आस्मान है मेरे अर्मानों के दर्पन जैसे
सु: दिल यूँ धड़के कि लगे बज उठे कँगन जैसे
उ:मस्त हैं आज हवाएं किसी पायल कि तरह
सु: सुर्मई रँग सजा है तेरे काजल की तरहउ:ऐसी रँगीन मुलाक़ात का मतलब क्या है
सु: इन छलकते हुए जज़्बात का मतलब क्या है
उ:आज हर दर्द भुला दो किसी पागल की तरह
सुर्मई रँग सजा है तेरे काजल की तरह