फिर वाही रात हैं - The Indic Lyrics Database

फिर वाही रात हैं

गीतकार - गुलजार | गायक - किशोर कुमार | संगीत - आर डी बर्मन | फ़िल्म - घर | वर्ष - 1978

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फिर वही रात है ...
hmmmm hmm hmmmफिर वही रात है, फिर वही रात है ख्वाब की
हो ... रात भर ख्वाब मैं
देखा करेंगे तुम्हे
फिर वही रात है ...हो ... काँच के ख्वाब हैं, आँखों में चुभ जायेंगे
हो ... पलकों पे लेना इन्हें, आँखों में रुक जायेंगे
हो ... ये रात है ख्वाब की, ख्वाब की रात है
फिर वही रात है..., फिर वही रात है
फिर वही रात है ख्वाब कीहो ... मासूम सी नींद मैं, जब कोई सपना चले
हो ... हम को बुला लेना तुम, पलकों के पर्दे तले
हो ये रात है ख्वाब की, ख्वाब की रात है
फिर वही रात है...
फिर वही रात है
फिर वही रात है ख्वाब कीफिर वही रात है ...
hmmmm hmmmmm hmmmmm ...
रात है ... hmmmm hmmm hmmmm ...
रात है...