हन कांच की चूड़ियां - The Indic Lyrics Database

हन कांच की चूड़ियां

गीतकार - शैलेंद्र सिंह | गायक - आशा भोंसले | संगीत - शंकर, जयकिशन | फ़िल्म - हरे कांच की चूड़ियां | वर्ष - 1967

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धानी चुनरी पहन, सजके बनके दुल्हन
जाऊँगी उनके घर, मन में उनकी लगन
गीत में मेरा मन ...
कुछ न बोलूँगी मैं, मुख न खोलूँगी मैं
बज उठेंगी हरे, काँच की चूड़ियाँ-२
काँच की चूड़ियाँ -३छूटे माता पिता, छूटे वो बालापन
खेली मैं जिनके संग, पूरे सोलह सावन
देके तन और मन ...
देके तन और मन, मैं मनाऊँ सजन,
तेरी बाहों में हो, मेरा जीवन मरण
वादा लेंगी हरे, काँच की चूड़ियाँ
बज उठेंगी हरे, काँच की चूड़ियाँदो सलोने वचन, तुमको मेरी क़सम
ये क़सम प्यार की, ये रसम प्यार की
अब निभाना सजन ...
अब निभाना सजन, मत भुलाना सजन
जाओ परदेस तो, जल्दी आना सजन
वादा लेंगी हरे, काँच की चूड़ियाँ
बज उठेंगी हरे, काँच की चूड़ियाँ