बच्चों तुम तक़दीर हो कल के हिन्दुस्तान की - The Indic Lyrics Database

बच्चों तुम तक़दीर हो कल के हिन्दुस्तान की

गीतकार - साहिर | गायक - रफ़ी, आशा | संगीत - एन दत्ता | फ़िल्म - दीदी | वर्ष - 1959

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बच्चों तुम तक़दीर हो कल के हिन्दुस्तान की
बापू के वरदान की नेहरू के अरमान की
बच्चों तुम तक़दीर ...

आज के टूटे खँडहरों पर तुम कल का देश बसाओगे
जो हम लोगों से न हुआ वो तुम कर के दिखलाओगे
( तुम नन्हीं बुनियादें हो )-2 दुनिया के नए विधान की
बच्चों तुम तक़दीर ...

आ: दीन-धरम के नाम पे कोई बीज फूट का बोए ना
जो सदियों के बाद मिली है वो आज़ादी खोए ना
दो: ( हर मज़हब से ऊँची है )-2 क़ीमत इन्सानी जान की
बच्चों तुम तक़दीर ...

र: फिर कोई जयचन्द न उभरे फिर कोई जाफ़र न उठे
ग़ैरों का दिल ख़ुश करने को अपनों पर खंज़र न उठे
दो: ( धन-दौलत के लालच में )-2 तौहीन न हो ईमान की
बच्चों तुम तक़दीर ...

आ: नारी को इस देश ने देवी कह कर दासी जाना है
जिसको कुछ अधिकार न हो वो घर की रानी माना है
दो: ( तुम ऐसा आदर मत लेना )-2 आड़ हो जो अपमान की
बच्चों तुम तक़दीर ...

रह न सके अब इस दुनिया में युग सरमायादारी का
तुमको झंडा लहराना है मेहनत की सरदारी का
( तुम चाहो तो )-2 बदल के रख दो क़िस्मत हर इन्सान की
बच्चों तुम तक़दीर ...$