इधर तो हाथ ला प्यारे दिखाऊँ दिन को भी तारे - The Indic Lyrics Database

इधर तो हाथ ला प्यारे दिखाऊँ दिन को भी तारे

गीतकार - मजरूह | गायक - रफी | संगीत - मदन मोहन | फ़िल्म - आखिरी दाँव | वर्ष - 1958

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इधर तो हाथ ला प्यारे दिखाऊँ दिन को भी तारे
लिखा है क्या लकीरों में फ़क़ीरों से सुन जा रे
लिखा है तुझको तो किसी से उल्फ़त है
मगर उस ज़ालिम को तुझसे नफ़रत है
वो चाहे औरों को ये तेरी क़िस्मत है
ये ज़ालिम प्यार दिखलाता है क्या-क्या नज़ारे
इधर तो हाथ ला
लकीरें कहती हैं ये तेरे हाथों में
कि तेरा मन उलझा है ऐसी बातों में
कि सोना मुश्किल है तुझे अब रातों में
ये सारे भेद खोले हैं लकीरों ने प्यारे
इधर तो हाथ ला
किया है जो तूने वही पाएगा तू
बुरी होगी बेटा जो छिपाएगा तू
फ़क़ीरों से बच के कहाँ जाएगा तू
तेरी क़िस्मत की चाबी है मेरे हाथों में प्यारे
इधर तो हाथ ला