हर एक बात पे कहते - The Indic Lyrics Database

हर एक बात पे कहते

गीतकार - ग़ालिब | गायक - के एल सहगल | संगीत - | फ़िल्म - `गैर फिल्म | वर्ष - 1940

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हर एक बात पे कहते हो तुम के तू क्या है
तुम्हीं बताओ ये अन्दाज़-ए-गुफ़्तगू क्या है

रगों में दौड़ते फिरने के हम नहीं क़ाइल
जब आँख ही से न टपका तो फिर लहू क्या है

ए पियूँ शराब अगर ख़ुम भी देख लूँ दो-चार
ये शीशा-ओ-क़दह-ओ-कूज़ा-ओ-सुबू क्या है

हुआ है शह का मुसाहिब फिरे है इतराता
वगरना शहर में ग़ालिब की आबरू क्या है