हुवे मजबूर हम - The Indic Lyrics Database

हुवे मजबूर हम

गीतकार - शकील | गायक - लता, शमशाद | संगीत - नौशाद | फ़िल्म - बाबुल | वर्ष - 1950

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हुवे मजबूर हम और दिल मोहब्बत करके पछताया
ख़ुशी को लूटकर मेरी बताओ तुमने क्या पाया
किसी के दिल में रहना था
तो मेरे दिल में क्यों आए
बसाई थी कोई महफ़िल
तो इस महफ़िल में क्यों आए
किसी के दिल में
मेरा दिल ले के मेरे प्यार को ठुकरा दिया तुमने
सहारा देके आँखें फेर लीं ये क्या किया तुमने
किसी के दिल में
ख़बर क्या थी के अरमानों पे तुम बिजली गिरा दोगे
मेरी हँसती हुई आँखों को रोना भी तुम सिखा दोगे
किसी के दिल में
तुम्हारे गीत मैं गाती थी हरदम हो के दीवानी
मेरे दिल की मगर आवाज़ तुमने ना पहचानी
किसी के दिल में
बसाई थी कोई