तुमसे कुछ कहना है गर तुम कुछ कहने दो - The Indic Lyrics Database

तुमसे कुछ कहना है गर तुम कुछ कहने दो

गीतकार - प्रेम धवन | गायक - लता मंगेशकर, मुकेश | संगीत - चित्रगुप्त | फ़िल्म - गेस्ट हाउस | वर्ष - 1959

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ं: तुमसे कुछ कहना है, गर तुम कुछ कहने दो
ळ: आजि बोले बिना हुम जाने, रहने दो जि रहने दो
ं: इन आँखों.में रहन है, अगर प्यार से रहने दो
ळ: पहले दिल को नजरोगे, कुछ तीर तो सहने दों: हँस हँसके सह लेंगे, बदे शोख से तीर चलाओ
ळ:ये फ़साना है पुराना, कोई बात नयी फ़र्माओ
ं: चलो जूठ सही, पेर बात मेरी, एक बार भी तो सुन लो
ं: तुमसे कुछ कहना है, अगर तुम कुछ कहने दो
ळ: आजि बोले बिना हुम जाने, रहने दो जि रहने दोळ: दिल डोले, कुछ बोले, भला कौन ये समजे इशारे
ं: वो इशारा जो तुम्हर, तो मैं तोड के ला दूं किनारे
ळ: आजि तुमसे यकीं कुछ हुमको नहिं, जरा होंश की बात करो
ं: तुमसे कुछ कहना है, अगर तुम कुछ कहने दो
ळ: आजि बोले बिना हुम जाने, रहने दो जि रहने दों: कुछ दिन्से मेरे दिल्मे.इन, कोई बन के खयाल आता है
ळ: बतोंसे बहलाना, तुम को येह क़माल आता है
ं: सच कहते.इन है हुम
ळ: चलो खाओ क़सम
ं: चाहे अपनी क़सम ले लो
ं: तुमसे कुछ कहना है, अगर तुम कुछ कहने दो
ळ: आजि बोले बिना हुम जाने, रहने दो जि रहने दो