तुम्हें जो मैंने देखा - The Indic Lyrics Database

तुम्हें जो मैंने देखा

गीतकार - जावेद अख़्तर | गायक - अभिजीत, श्रेया घोषाल | संगीत - अनु मलिक | फ़िल्म - मैं हूँ ना | वर्ष - 2004

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तुम भी हो, मैं भी हूँ 
पास आओ तो कह दूँ 
आखिर क्यों पल में यूँ दीवाना मैं हो गया 

तुम्हें जो मैंने देखा, तुम्हें जो मैंने जाना 
तुम्हें जो मैंने देखा, तुम्हें जो मैंने जाना 
जो होश था, वो तो गया 
बदन की ये खुशबु, जगाने लगी जादू 
तो होके बेक़ाबू, दिल खो गया

तुम्हें जो मैंने सोचा, तुम्हें जो मैंने माना  
तुम्हें जो मैंने देखा, तुम्हें जो मैंने जाना
जो होश था, वो तो गया 

इतनी क्यों, तुम खुबसूरत हो 
के सब को हैरत हो 
दुनिया में सच मुच ही रहती है
परियों से भी ज्यादा प्यारी सी लड़की कोई 

हाँ इतनी क्यों, बोलो हसीं तुम हो 
जो देखे गुम सुम हो 

देखो ना मैं भी हूँ खोया सा 
बहका सा मुझपे भी छायी है दीवानगी 

तुम्हीं को मैंने पूजा, तुम्हीं को चाहा पाना 
तुम्हें जो मैंने देखा, तुम्हें जो मैंने जाना 
जो होश था, वो तो गया 

बदन की ये खुशबु, जगाने लगी जादू 
तो होके बेक़ाबू, दिल खो गया 
तुम्हें जो मैंने सोचा, तुम्हें जो मैंने माना  
तुम्हें जो मैंने देखा, तुम्हें जो मैंने जाना
जो होश था, वो तो गया 

तुम भी हो, मैं भी हूँ 
पास आओ तो कह दूँ 
तुमने जो देखा तो 
क्या जाने क्या हो गया

जाने क्यों, रहती हूँ खोयी सी 
जागी ना सोयी सी 
अब दिल में अरमां है साँसों में तूफां है 
आँखों में ख्वाबों की है चाँदनी 

आ.. जाने क्यों, बहका सा ये मन है 
महका सा ये तन है 
चलती हूँ इतराके, इठलाके , शरमाके 
बलखाके जैसे कोई रागिनी 
तुम्हें जो मैंने समझा, तुम्हें जो पहचाना  
तुम्हें जो मैंने देखा, तुम्हें जो मैंने जाना
जो होश था, वो तो गया 

बदन की ये खुशबु, जगाने लगी जादू 
तो होके बेक़ाबू, दिल खो गया 

तुम्हें जो मैंने देखा, तुम्हें जो मैंने जाना  
तुम्हें जो मैंने देखा, तुम्हें जो मैंने जाना
तुम्हें जो मैंने देखा, तुम्हें जो मैंने जाना
तुम्हें जो मैंने देखा, तुम्हें जो मैंने जाना