सब्ज़े की दुरफिशानी फुउलोन का शामियाना - The Indic Lyrics Database

सब्ज़े की दुरफिशानी फुउलोन का शामियाना

गीतकार - मुंशी फारोगो | गायक - लता मंगेशकर | संगीत - रामकृष्ण शिंदे | फ़िल्म - बिहारी | वर्ष - 1948

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सब्ज़े की दुर्फ़िशानी फूलों का शामियाना
ख़ुशबू की नौजवानी रंगीं निग़ारख़ाना
देखा तो गा रहा है अपना वही तराना
बुलबुल सुना रहा है गुल को रुला रहा है
मीठा सा दर्द बनकर पहलू में आ रहा है
रह-रह के कोई दिल में चरके लगा रहा हैठंडी हवा का झोंका झूला झुला रहा है
फूलों को देके लोरी दौलत लुटा रहा है
बादल मचल-मचल कर हर ????? पे छा रहा है
लेकिन मेरा नसीबा मुझको रुला रहा है