सैय्यद ने छुपाया कैद में है बुलबुल - The Indic Lyrics Database

सैय्यद ने छुपाया कैद में है बुलबुल

गीतकार - समीर | गायक - अलका याज्ञनिक, सुरेश वाडकर | संगीत - आनंद, मिलिंद | फ़िल्म - क़ैद में है बुलबुल | वर्ष - 1992

View in Roman

सय्याद ने छुपाया बेबस पे सितम ढाया
कोई ज़ोर न चल पाये क़ैद में है बुलबुल क़ैद में है बुलबुल
सय्याद ने छुपाया ...मैं तुझको ढूंढता हूँ पातियों के चौबारों में
चेहरा तेरा देखता हूँ अश्क़ों की कतारों में
दिल मेरा कहता है दुनिया को जला दूं
होके जुदा हमराही अपनी हस्ती मिटा दूं
मुझे पास बुलाती है तेरी याद सताती है दिन रात रुलाती है
क़ैद में है बुलबुल ...खुश्बू के झोंके महकी फ़िज़ाओं में
उड़ती थी मैं बुलबुल चंचल हवाओं में
धरती के पैरों में अम्बर की बाहों में
सपनों की दुनिया में तेरी निगाहों में
झरने तले मचलती थी मैं
गिरती थी कभी सम्भलती थी मैं
सरगम कोई गाती थी मैं
सखियों को भी सुनाती थी मैं
नदिया किनारे बैठी अकेले करती थी मैं इन्तज़ार
सारे जहां को ठोकर लगा के आता था मिलने यार
हँसती थी गाती थी बाहों में सो जाती थी
दिल की बातों में ख्वाबों में खो जाती थी
आया कहीं से शिकारी ज़ालिम ने जाल बिछाया
बन्द किया पिंजरे में पंछी अंधेरा हर ओर छाया
बेजान सी रहती है कुछ भी नहीं कहती है
हर दर्द वह सहती है
क़ैद में है बुलबुल ...