हवा उड़ा कर लाई सावन के सपने - The Indic Lyrics Database

हवा उड़ा कर लाई सावन के सपने

गीतकार - वर्मा मलिक | गायक - सुरैया | संगीत - धनीराम | फ़िल्म - | वर्ष - 1958

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( हवा उड़ा कर लाई सावन के सपने
हो दिल लगा तड़पने
हो आ जा साजन अपने ) -२( पलकों ने हैं पँख फैलाये
दूर नगरिया उड़-उड़ जाये ) -२
बीते दिन याद दिलाये
मेरी उलझी लट ने
हो दिल लगा तड़पने
हो आ जा साजन अपने( लो घटा के बिखरे-बिखरे गेसू
कैसे करूँ मैं दिल पर क़ाबू ) -२
अब फूलों से भँवरा भी
आया है लिपटनेहो दिल लगा तड़पने
हो आ जा साजन अपने( महकी हवायें मस्त बहारें
झूम-झूम के तुझे पुकारें ) -२
पाँवों को चूम कर पायल
अब लगी छलकनेहो दिल लगा तड़पने
हो आ जा साजन अपने
हवा उड़ा कर लाई सावन के सपने
हो दिल लगा तड़पने
हो आ जा साजन अपने