ठंढ़ी ठंडी ये मौसम का जादू है मितवा - The Indic Lyrics Database

ठंढ़ी ठंडी ये मौसम का जादू है मितवा

गीतकार - रवींद्र रावल | गायक - लता मंगेशकर, सहगान, एस पी बालासुब्रमण्यम | संगीत - राम लक्ष्मण | फ़िल्म - हम आपके हैं कौन | वर्ष - 1994

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को: ठण्डी ठण्डी पुरवैया में उड़ती है चुनरिया, हे
धड़के मोरा जिया रामा बाली है उमरियाबा: दिल पे, नहीं क़ाबु
कैसा, ये जादूल: ये मौसम का जादू है मितवा
न अब दिल पे क़ाबू है मितवा
नैना जिसमें खो गये
दीवाने से हो गये
नज़ारा वो हर सू है मितवा
हो ये मौसम का जादू है मितवा

को: शहरी बाबू के संग मेम गोरी गोरी, हे
ऐसे लगे जैसे, चन्दा की चकोरी

ल: फूलों कलियों की बहारें
चंचल ये हवाओं की पुकारें
ह फूलों कलियों की बहारें
चंचल ये हवाओं की पुकारें
बा: हमको ये इशारों में कहें हम
थम के यहाँ घड़ियाँ गुज़ारें
ल: पहले कभी तो न हमसे
बतियाते थे ऐसे फुलवा
बा: ये मौसम का जादू है मितवा
ल: मितवा
बा: न अब दिल पे क़ाबू है मितवा
नैना जिसमें खो गये
दीवाने से हो गये
नज़ारा वो हर सू है मितवा
ओ ओ ओ ये मौसम का जादू है मितवा

को: सच्ची सच्ची बोलना भेद न छुपाना, हे
कौन डगर से आये कौन दिसा है जाना

बा: इनको हम ले के चले हैं
अपने संग अपनी नगरिया
laughइनको हम ले के चले हैं
अपने संग अपनी नगरिया
ल: हाय रे संग अन्जाने का
उस पर अन्जान डगरिया
बा: फिर कैसे तुम दूर इतने
संग आ गई मेरे गोरिया
ल: ये मौसम का जादू है मितवा
बा: मितवा
ल: न अब दिल पे क़ाबू है मितवा
नैना जिसमें खो गये
दीवाने से हो गये
नज़ारा वो हर सू है मितवा
ओ ओ ओ ये मौसम का जादू है मितवा
बा: मितवा