हँस के न तीर चलाना - The Indic Lyrics Database

हँस के न तीर चलाना

गीतकार - एहसान रिज़वी | गायक - रफ़ी, लता | संगीत - हंसराज बहल | फ़िल्म - बेकसूर | वर्ष - 1950

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हँस के न तीर चलाना
दिल ख़ुद ही बनेगा निशाना
तुम इतना न हम पे सितम ढाना-2
र: हँस के न तीर चलाना
दिल ख़ुद ही बनेगा निशाना
तुम इतना न हम पे सितम ढाना
गोरी इतना न हम पे सितम ढाना

र: रह-रह के याद सताये-2
गोरे गालों पे
ओ गोरे गालों पे मन ललचाये
गोरे गालों पे मन ललचाये
कुछ अपनी निशानी दिये जाना

दिल ख़ुद ही बनेगा निशाना
तुम इतना न हम पे सितम ढाना
गोरी इतना न हम पे सितम ढाना

ल: जो देखे वो ही ललचाये-2
कोई किस-किस से आँख चुराये-2
जिसे देखो पुकारे चली आना

दिल ख़ुद ही बनेगा निशाना
तुम इतना न हम पे सितम ढाना-2

र: मर जायेंगे हम घबरा के-2
मुँह छुपाना ना
ओ मुँह छुपाना ना घूँघट उठा का
मुँह छुपाना ना घूँघट उठा का
गोरी हमसे न तुम शरमाना

दिल ख़ुद ही बनेगा निशाना
तुम इतना न हम पे सितम ढाना
गोरी इतना न हम पे सितम ढाना

ल: पछताउँ मैं प्रीत लगाके-2
घबराती हूँ आँख मिलाते-2
मेरा भोला सा मन न दुखाना

दिल ख़ुद ही बनेगा निशाना
तुम इतना न हम पे सितम ढाना-2

दो: हँस के न तीर चलाना
दिल ख़ुद ही बनेगा निशाना
तुम इतना न हम पे सितम ढाना-2$