एक भोली-भाली गाँव - The Indic Lyrics Database

एक भोली-भाली गाँव

गीतकार - | गायक - हेमंत कुमार | संगीत - सलिल चौधरी | फ़िल्म - गैर-फिल्मी | वर्ष - 1940

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एक भोली-भाली गाँव की रानी
जिसकी कहानी
आओ सुनायें
सुनो

पके धान का खेत खड़ा
बलखा खा के लहराये
ओढ़ चुनरिया हरियाली की
धरती है मुस्काये
वहाँ बनी एक सुन्दर कुटिया
महलों को शर्माये
उस्में रहती एक मतवाली
सुन्दर रानी
जिसकी कहानी
आओ सुनायें
सुनो

कुटिया ही सब कुछ है उसकी
कुटिया ही सब कुछ है वो
आते-जाते राही पाते
आगे बढ़ने की हिम्मत को
गाँव की रानी पिया के पथ में
बैठी बिछाये आँखों को
साँझ दीप ने मिला दिये
और देख रहा इस मधुर-मिलन को
ऐसी गाँव की रानी
जिसकी कहानी
आओ सुनायें
सुनो

नींद परी के जादू ने जब
लुटा दिये सपने अनमोल
लगी लूटने सारी दुनिया
अपनी मन-मस्ती में डोल
पर हाय विधाता रूप बदल कर
गाँव के आँगन आई
भोली-भाली मुखड़ा देख
अपने आप से वोह शरमाई
जो कुछ करना था करना
और चिल्ला उठी जाग के दुनिया
काल पर गया काल
काल पर गया काल

डाकन-जोगन आई पिशाचन
छाई घटाएं कालि-काली रे
मौत के साज़ पे प्रलय रागिनी
बाज रही मतवाली रे
मिला ख़ाक़ में गाँव सलोना
ग़म ने मनाई दीवाली रे
शान्ति गई सुख-चैन गया
सोने से भरा सा वो खेत गया
डाकन-जोगन आई पिशाचन
छाई घटाएं कालि-काली रे

कहाँ गई वो साँझ सुहानी
कहाँ पक्षिओं का गाना
कहाँ गया वो मधुर-मिलन
और कहाँ ख़ुशी से भरा ज़माना

क्यूँ उगे हो अब चाँद सलोने
क्या लेने अब आये सितारे
चले गये वो छोड़ के दुनिया
जिनको थे तुम बड़े ही प्यारे

हर गाँव की टूटी दीवरें
कहती हैं आज कहानी
मेरी गोद में बनी समाधि
कितनी कुटिया कितनी रानी