इक बगिया में रहती है इक मैना हु ला ला ला - The Indic Lyrics Database

इक बगिया में रहती है इक मैना हु ला ला ला

गीतकार - जावेद अख्तर | गायक - चित्रा, शंकर महादेवन, श्रीनि | संगीत - ए आर रहमान | फ़िल्म - सपने | वर्ष - 1997

View in Roman

इक बगिया में रहती है इक मैनापूछती है कि बोलो क्या है कहनामेरा रंग हसीं है क्यामेरा अंग हसीं है क्याकभी पूछे तो मेरा जवाब यही होगाएक है रासता रस्ते में गाड़ी गाड़ी में है लड़कीमैंने जो पूछा रऽन्ग साड़ी का वो बोली धनक जैसारिमझिम बरसे जलती-तपती धरती पे जो कभी पानीउठे धरती से सौंधी-सौंधी ख़ुश्बुओँ की धनकें सुहानीझूमे जा झूमे जा ज़िंदगी के फल कोई प्यार से चखे तो मीठे हैंझूमे जा झूमे जा पंछियों के सुर कोई ध्यान से सुने तो मीठे हैंकानों में हैं मेरे सारी दुनिया कि आवाज़ेंउनसे बनी तस्वीरें कईझूमे जा झुमे जा राही तू झूमे जा भूल जा परेशानियाँझूमे जा झूमे जा जब तक है जीवन में ये सर्दी-गर्मी ये हवाझूमे जा झूमे जा दुनिया में हर दिल को है गीत कोई तो मिलागीतों में हैं जिनके प्यारे सपनों की दुनियायेंउनको मिलती है राहें नईझूमे जा झूमे जा बादल जो है गरजा दिल पे बनी परछाइयाँ