गधों पर बैठ कर हम देखो देखो हज़ुउरो - The Indic Lyrics Database

गधों पर बैठ कर हम देखो देखो हज़ुउरो

गीतकार - राजा मेहदी अली खान | गायक - मोहम्मद रफ़ी, शमशाद बेगम | संगीत - चित्रगुप्त, एस एन त्रिपाठी | फ़िल्म - अलीबाबा और 40 चोर/ अलीबाबा और चालीस चोर/ अलीबाबा और 40 चोर | वर्ष - 1954

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र : गधों पर बैठ कर हम शहर के चक्कर लगाएँगे
हो ही इसी क़ाबिल
हमें तुमसे मुहब्बत है ये दुनिया को बताएँगे
क़ुरबान जाऊँ तुम्हारे बताने पे
श : देखो-देखो हज़ूर ये हैं खट्टे अंगूर
अजी छोड़ो ये हाथ नहीं आएँगे
र : ओ मेरी जन्नत की हूर तू है अरबी खज़ूर
तेरे साए में ज़िन्दगी बिताएँगे
श : देखो-देखो हज़ूर ...र : अच्छा लगे है मुझे ओ मेरी बुलबुल
गाना तेरा चहचहाना तेरा
श : अच्छा लगे न मुझे ओ पीछे-पीछे
आना तेरा खिलखिलाना तेरा -२
र : तेरी आँखें बिल्लूर मीठे-मीठे अंगूर
इन्हें शरबत बना के पी जाएँगे
श : देखो-देखो हज़ूर ...र : भूला नहीं है मुझे नज़रें झुका कर
आना तेरा मुस्कुराना तेरा -२
श : मुझको भी याद है पहला तमाचा
खाना तेरा भाग जाना तेरा -२
र : जो करेगी क़बूल हम बन के लंगूर
तेरे कूचे में उधम मचाएँगे
श : देखो-देखो हज़ूर ...