चल कहीं चलें सजाना: - The Indic Lyrics Database

चल कहीं चलें सजाना:

गीतकार - समीर | गायक - बेला, सुरेश वाडेकर | संगीत - आनंद, मिलिंद | फ़िल्म - मुकद्दर | वर्ष - 1996

View in Roman

चल कहीं चलें सजना प्यार यहां करना मना
बस्ती न कोई घर हो दुनिया का न कोई डर हो
सच हो गया तेरा मेरा सपना
चल कहीं चलें ...महकी फ़िज़ाएं हो ठंडी हवाएं हो
दिलबर की बाहों में दिलबर की बाहें हों
मस्ती लुटाएं दिल निगाहें शराबी
गालों पे बिखरी लबों की गुलाबी
धरती हो न अ.म्बर हो नदिया हो न सागर हो
क़ुदरत की हो दिलकश कोई रचना
चल कहीं चलें ...यादों के मेले हों ख्वाबों के रेले हों
सारे ज़माने के ग़म को भुलाएं
जन्नत से भी सुंदर हो सबसे हसीं मंज़र हो
न गैर हो कोई न हो अपना
चल कहीं चलें ...