एक मंजिल राही दो - The Indic Lyrics Database

एक मंजिल राही दो

गीतकार - राजेन्द्र कृष्ण | गायक - लता मंगेशकर - मुकेश | संगीत - मदन मोहन | फ़िल्म - संजोग | वर्ष - 1961

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एक मंजिल राही दो फिर प्यार ना कैसे हो
साथ मिले जब दिल को फिर प्यार ना कैसे हो
हम भी वो ही हैं, दिल भी वो ही है, धड़कन मगर नई है
देखो तो मीत, आँखों में प्रीत, क्या रंग भर गयी है
निकले हैं धुन में, अपनी लगन में मंजिल बुला रही है
ठंडी हवा भी अब तो मिलन के नग्मे सुना रही है
देखो वो फूल, दुनिया से दूर, आकर कहाँ खिला है
मेरी तरह ये खुश है जरूर इसको भी कुछ मिला है