जिधर उनकी तिराछी नज़र हो गई - The Indic Lyrics Database

जिधर उनकी तिराछी नज़र हो गई

गीतकार - | गायक - मास्टर फ़िदा हुसैन | संगीत - मास्टर नगर दास नायक | फ़िल्म - | वर्ष - 1935

View in Roman निगाह उनकी कैसी निडर हो गईशब-ए-वस्ल भी दिल के अरमाँ न निकले
मनाते-मनाते सहर हो गई
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जिधर उनकी तिरछी नज़र हो गई
क़यामत ही बर्पा उधर हो गईवो फिर-फिर के देखें मुझे जाते-जाते
मुहब्बत मेरी पुर-असर हो गईकिया राज़ अफ़शाँ निगाहों ने दिल का
छुपाते-छुपाते ख़बर हो गईकिया क़त्ल चुटकी में 'आज़ाद' को भी
निगाह उनकी कैसी निडर हो गईशब-ए-वस्ल भी दिल के अरमाँ न निकले
मनाते-मनाते सहर हो गई