क़यामत है - The Indic Lyrics Database

क़यामत है

गीतकार - आनंद बख्शी | गायक - मोहम्मद रफ़ी, अनुराधा | संगीत - राजेश रोशन | फ़िल्म - श्री नटवरलाल | वर्ष - 1970

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र : क़यामत है-४
ये कैसी ग़म की शाम है ये कैसी
को : क़यामत है ...

र : तू पीर है फ़क़ीर है
तेरे दर पे सर हैं झुके हुए ओ
आँखों में आँसू रुके हुए
अ : ये बरबादी
को : आ
अ : हुई कैसी ये बरबादी हुई कैसी
किस पे ये इल्ज़ाम है-२

सवाल का जवाब दे क्यों तेरे होते हुए है ये
ये दुआ है या बद्दुआ है ये
को : क्यों तेरे होते हुए ये
ये दुआ है या बद्दुआ है ये
र : बसी बस्ती उजड़ जाए-२
क्या अपना ये अन्जाम है क्या अपना
पुकार है इंतज़ार है

अ : किसी रोज़ तो कोई आएगा
र : हम सबकी जो बिगड़ी बनाएगा
को : किसी रोज़ तो कोई आएगा
हम सबकी बिगड़ी बनाएगा
चले आए यहाँ
को : क़यामत है-२
दो : अब आगे तेरा काम है अब आगे
अ : ये कैसी
ग़म की शाम है ...