किसी की याद में दुनिया को हैं भुलाये हुए - The Indic Lyrics Database

किसी की याद में दुनिया को हैं भुलाये हुए

गीतकार - राजिंदर कृष्ण | गायक - मोहम्मद रफ़ी | संगीत - मदन मोहन | फ़िल्म - जहाँ आरा | वर्ष - 1964

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किसी की याद में दुनिया को हैं भुलाये हुये
ज़माना गुज़रा है अपना ख़्हयाल आअये हुयेबड़ी अजीब ख़्हुशी है ग़म-ए-मुहब्बत भी
हँसी लबों पे मगर दिल पे चोट खाये हुयेहज़ार पर्दे हों पहरें हों या हों दीवारें
रहेंगे मेरी नज़र में तो वो समाये हुयेकिसी के हुस्न की बस इक किरण ही काफ़ी है
ये लोग क्यूँ मेरे आगे हैं शम्मा लाये हुये