रात के हमसफ़र ठक के घर को चलें - The Indic Lyrics Database

रात के हमसफ़र ठक के घर को चलें

गीतकार - शैलेंद्र सिंह | गायक - मोहम्मद रफ़ी, आशा भोंसले | संगीत - शंकर, जयकिशन | फ़िल्म - एन ईव्निंग इन पेरिस | वर्ष - 1967

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रात के हमसफ़र, थक के घर को चले
झूमती आ रही है सुबह प्यार की
देख कर सामने, रूप की रोशनी
फिर लुटी जा रही है सुबह प्यार कीरात ने प्यार के जाम भर कर दिये
आँखों आँखों से जो मैं ने तुमने पिये
होश तो अब तलक़ जा के लौटे नहीं
जाने क्या ला रही है सुबह प्यार की
रात के हमसफ़र ...