बाबूजी धीरे चलना - The Indic Lyrics Database

बाबूजी धीरे चलना

गीतकार - मजरूह | गायक - गीता | संगीत - ओपी नैय्यर | फ़िल्म - आर पार | वर्ष - 1954

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बाबूजी धीरे चलना
प्यार में ज़रा सम्भलना
हाँ बड़े धोखे हैं
बड़े धोखे हैं इस राह में, बाबूजी ...

क्यूँ हो खोये हुये सर झुकाये
जैसे जाते हो सब कुछ लुटाये
ये तो बाबूजी पहला कदम है
नज़र आते हैं अपने पराये
हाँ बड़े धोखे हैं ...

ये मुहब्बत है ओ भोलेभाले
कर न दिल को ग़मों के हवाले
काम उलफ़त का नाज़ुक बहुत है
आके होंठों पे टूटेंगे प्याले
हाँ बड़े धोखे हैं ...

हो गयी है किसी से जो अनबन
थाम ले दूसरा कोई दामन
ज़िंदगानी कि राहें अजब हैं
हो अकेला है तो लाखों हैं दुश्मन
हाँ बड़े धोखे हैं ...$