सुबह ना आई, शाम ना आई - The Indic Lyrics Database

सुबह ना आई, शाम ना आई

गीतकार - नीरज | गायक - मोहम्मद रफ़ी | संगीत - इकबाल कुरैशी | फ़िल्म - चा चा चा | वर्ष - 1964

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ख़ुशी जिसने खोजी, वो धन लेके लौटा
हँसी जिसने खोजी, चमन लेके लौटा
मगर प्यार को खोजने जो चला वो
न तन लेके लौटा, न मन लेके लौटा
सुबह ना आई, शाम ना आई
जिस दिन तेरी याद ना आई, याद ना आई
कैसी लगन लगी ये तुझसे
हँसी खो गई, खुशी खो गई
आँसू तक सब रहन हो गए
अर्थी तक नीलाम हो गई
दुनिया ने दुश्मनी निभाई
याद ना आई…
तुम मिल जाते तो हो जाती
पूरी अपनी राम कहानी
खंडहर ताजमहल बन जाता
गंगाजल आँखों का पानी
साँसों ने हथकड़ी लगाई
याद ना आई …
जैसे भी हो तुम, आ जाओ
आग लगी है, तन में और मन में
एक तार की दूरी है
बस दामन और कफ़न में
हुई मौत के संग सगाई
याद ना आई …