ऐसे हैं सुख सपन हमारे - The Indic Lyrics Database

ऐसे हैं सुख सपन हमारे

गीतकार - नरेंद्र शर्मा | गायक - लता मंगेशकर | संगीत - सुधीर फड़के | फ़िल्म - रत्नाघर | वर्ष - 1955

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ऐसे हैं सुख सपन हमारें २
बन बन कर मिट जाते जैसे
बालू के घर नदी किनारे
ऐसे हैं सुख सपन हमारेलहरें आती बह बह जाती
रेखाएं बस रह रह जाती
जाती लहरें कह कह जाती
जाते पल को कौन पुकारे
ऐसे हैं सुख सपन हमारेऐसी इन सपनों की माया
जल पर जैसे चाँद की छाया
चाँद किसी के हाथ न आया
छाहे जितना हाथ पसारे
ऐसे हैं सुख सपन हमारेमन भर आया नैना छलके २
गालों पर दो आँसू धलके
याद किये क्युँ सपने कलके
बीते को तू क्युँ न बिसारेऐसे हैं सुख सपन हमारे
बन बन कर मिट जाते जैसे
बालू के घर नदी किनारे