आग ही आग है - The Indic Lyrics Database

आग ही आग है

गीतकार - असद भोपाली | गायक - महेंद्रा केपर | संगीत - उषा खन्ना | फ़िल्म - आग | वर्ष - 1967

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आग ही आग है
आग ही आग है
तेरी चिता से मेरे मन तक
धरती के सीने से गगन स
आग ही आग है

मैंने सोचा था
दुल्हन बनकर तुझे
प्यार के मोतियों से
सजाकर तुझे
तेरी डोली को कन्धा
लगाये हुए
दूर तक जाउँगा सर
झुकाए हुए
तू न दुल्हन बनी
और न डाली गयी
है लहू में मेरे
आग घोली गयी
आग ही आग है

मेरे होते हुए तेरी इज़्ज़त लूटी
घर से डोली के बदले
में अर्थी उठी
मैं अभागी न दे
पाया कन्धा तुझे
मेरी प्यारी बहन
माफ़ कर दे मुझे
माफ़ कर दे मुझे
माफ़ कर दे मुझे.