रंज की जब गुफ्तगु होने लगी - The Indic Lyrics Database

रंज की जब गुफ्तगु होने लगी

गीतकार - दाग देहलवी | गायक - गुलाम अली | संगीत - | फ़िल्म - हसीन लम्हेन 5 (गैर-फिल्म) | वर्ष - 1992

View in Roman शायद उनकी आबरू होने लगी
'>

रंज की जब गुफ़्तगू होने लगी
आप से तुम तुम से तू होने लगीचाहिये पैग़ाम बर दोनों तरफ़
लुत्फ़ क्या जब दू-ब-दू होने लगीमेरी रुस्वाई की नौबत आ गई
उनकी शोहरत कू-ब-कू होने लगीना-उमीदी बढ़ गई है इस कदर
आरज़ू की आरज़ू होने लगीअबके मिल कर देखिये क्या रंग हो
फिर हमारी जुस्तजू होने लगी'दाग़' इतराये हुये फिरते हैं आज
शायद उनकी आबरू होने लगी