वो चुप रहने तो मेरे दिल के दाग जलेते हैं - The Indic Lyrics Database

वो चुप रहने तो मेरे दिल के दाग जलेते हैं

गीतकार - राजिंदर कृष्ण | गायक - लता मंगेशकर | संगीत - मदन मोहन | फ़िल्म - जहाँ आरा | वर्ष - 1964

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वो चुप रहें तो मेरे दिल के दाग़ जलते हैं
जो बात कर लें तो बुझते चराग़ जलते हैंकहो बुझें के जलें
हम अपनी राह चलें या तुम्हारी राह चलें
कहो बुझें के जलें
बुझें तो ऐसे के किसी ग़रीब का दिल
किसी ग़रीब का दिल
जलें तो ऐसे के जैसे चराग़ जलते हैंयह खोई खोई नज़र
कभी तो होगी या सदा रहेगी उधर
यह खोई खोई नज़र
उधर तो एक सुलग़ता हुआ है वीराना
है एक वीराना
मगर इधर तो बहारों में बाग़ जलते हैंजो अश्क़ पी भी लिए
जो होंठ सी भी लिए, तो सितम ये किसपे किए
जो अश्क़ पी भी लिए
कुछ आज अपनी सुनाओ कुछ आज मेरी सुनो
ख़ामोशिओं से तो दिल और दिमाग़ जलते हैं