लागी नाहीं छूटे - The Indic Lyrics Database

लागी नाहीं छूटे

गीतकार - शैलेंद्र | गायक - दिलीप कुमार, लता | संगीत - सलिल चौधरी | फ़िल्म - मुसाफिर | वर्ष - 1957

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लागी नाहीं छूटे
अं
चाहे जिया जाये

चाहे जिया जाये
ओ मन अपनी मसती का जोगी
कौन इसे समझाये

कौन इसे समझाये
रामा चाहें जिया जाये

लागी नाहीं छूटे
रामा
चाहें जिया जाये
रिमझिम-रिमझिम बुंदियाँ बरसें
छिड़ीं प्यार की बातें
मीठी-मीठी आग़ में खुल गईं
कितनी ही बरसातें
रिमझिम-रिमझिम बुंदियाँ बरसें

जाने किसे दिल दीवाना
बैठा रोग लगाये

चाहें जिया जाये
लागी नाहीं छूटे
अं
लागी नाहीं छूटे
रामा
चाहें जिया जाये
लागी नाहीं छूटे
रामा
चाहें जिया जाये
मन अपनी मस्ती का जोगी
हो मन अपनी मस्ती का जोगी
कौन इसे समझाये
चाहें जिया जाये
तारों में मुसकान है तेरी
चाँद तेरी परछाईं
उतने गीत हैं जितनी रातें
हमने साथ बिताईं


कैसे बोलूँ रे साँवरिया
करूं मैं कौन उपाय

चाहें जिया जाये
रिमझिम-रिमझिम बुंदियाँ बरसें
छिड़ीं प्यार की बातें
मीठी-मीठी आग़ में खुल गईं
कितनी ही बरसातें
रिमझिम-रिमझिम बुंदियाँ बरसें
जाने किसे दिल दीवाना
बैठा रोग लगाये

चाहें जिया जाये