बरसो रे, बरसो रे - The Indic Lyrics Database

बरसो रे, बरसो रे

गीतकार - पं. इंद्र चंद्र | गायक - खुर्शीद | संगीत - खेमचंद प्रकाश | फ़िल्म - तानसेन | वर्ष - 1943

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उम:बेताब है दिल

उम:बेताब है दिल

बेताब है दिल दर्दएमुहब्बत के असर से

जिस दिन से मेरा चाँद छुपा मेरी नज़र से

बेताब है दिल

उम:सोई हुई क़िस्मत को मेरी आके जगा जा

आजा मेरी दुनिय में ज़रा लौट के आजा

आँखों को है उम्मीद

आँखों को है उम्मीद,तेरी राहगुज़र से

जिस दिन से मेरा चाँद छुपा मेरी नज़र से

बेताब है दिल

सुर:ये कौन मेरे दिल मेरी आँखों में समाय

ये किस्की निगाहों ने मुझे अपना बनाया

बेगान हुई

बेगाना हुई जाति हूँ दुनिया की ख़बर से

टकरागई ये किस की नज़र मेरी नज़र से

बेताब है दिल

उम:दम भर को तेरी याद से, ग़ाफ़िल नहीं रहती

जो दिल पे गुज़रती है, ज़ुबाँ से नहीं कहती

फ़रियाद भी

फ़रियाद भी होती नहीं रुसुवाई के डर से

जिस दिन से मेरा चाँद छुपा मेरी नज़र से

बेताब है दिल

सुर:इक मौज है इक राग है इक रंग है जी में

हँस्ती हूँ ख़ुशी में, गाती हूँ ख़ुशी में

उट्ठा है ये तूफ़ान

उट्ठा है ये तूफ़ान, ख़ुदा जाने किधर से

टकरागई ये किस्की नज़र मेरी नज़र से