रात का नशा अभी आँख से गया नहीं - The Indic Lyrics Database

रात का नशा अभी आँख से गया नहीं

गीतकार - गुलजार | गायक - चित्रा | संगीत - अनु मलिक | फ़िल्म - अशोका | वर्ष - 2001

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रात का नशा अभी आँख से गया नहीं
तेरा नशीला बदन, बाहों ने छोड़ा नहीं
आँखें तो खोली मगर, सपना वो तोड़ा नहीं
हाँ वही, वो वहीं
साँसों पे रखा हुआ तेरे होंठों का सपना अभी है वहीं
तेरे बिना भी कभी तुझ से मचल लेती हूँ
करवटें बदलती हूँ तो सपना बदल लेती हूँ
तेरा खयाल आए तो, बल खा के पल जाता है
पानी की चादर तले तन मेरा जल जाता है
हाँ वही, वो वहीं
साँसों पे रखा हुआ तेरे होंठों का सपना अभी है वहीं
तेरे गले मिलने के मौसम बड़े होते हैं
जन्मों का वादा कोई, ये ग़म बड़े छोटे हैं
लंबी सी एक रात हो, लंबा सा एक दिन मिले
बस इतना सा जीना हो मिलन की घड़ी जब मिले
हाँ वही, बस वहीं
साँसों पे रखा हुआ तेरे होंठों का सपना अभी है वहीं