तुम अगर सामने - The Indic Lyrics Database

तुम अगर सामने

गीतकार - समीर | गायक - अभिजीत, अलका याज्ञिक | संगीत - नदीम-श्रवण | फ़िल्म - राज़ | वर्ष - 2002

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मैं अगर सामने आ भी जाया करूं 
लाज़मी है कि तुम मुझसे पर्दा करो 
अपनी शादी के दिन अब नहीं दूर हैं 
मैं भी तड़पा करू तुम भी तड़पा करो 

बड़ी मुश्किल है, ये मेरा दिल है 
बड़ी मुश्किल है, ये मेरा दिल है 
तुम ही कहो कैसे मैं चुप रहूं 
तुम अगर सामने आ भी जाया करो 
लाज़मी है कि मैं तुमसे पर्दा करूं 
अपनी शादी के दिन अब नहीं दूर हैं 
मैं भी तड़पा करू तुम भी तड़पा करो 

बड़ी मुश्किल है, ये मेरा दिल है 
बड़ी मुश्किल है, ये मेरा दिल है 
तुम ही कहो कैसे मैं चुप रहूं
तुम अगर सामने आ भी जाया करो 
लाज़मी है कि मैं तुमसे पर्दा करूं 

सताने के मनाने के, ये दिन हैं आजमाने के 
ज़रा समझा करो दिलबर तुम्हें मेरी क़सम 
यही मेरी है मज़बूरी, सही जाये ना अब दुरी 
मेरा क्या हाल है कैसे बताऊं मैं सनम 
ज़मीं होगी, गगन होगा, तेरा मेरा मिलन होगा 
मैं अगर तुमसे नज़रें मिलाया करूं 
लाज़मी है कि तुम मुझसे पर्दा करो 

मैं दुनिया से चला जाऊं, कभी ना लौटके आउं 
करोगी क्या अकेले तुम, बताओ दिलरुबा 
मैं रब से छीन लाऊंगी 
तुम्हें अपना बनाउंगी 
चलेगी सांस जब तक ये 
ना होंगे हम जुदा 
ना अपनी ये क़सम टूटे
जो रब रूठे तो रब रूठे 

मैं अगर तुमको मिलने बुलाया करूं 
लाज़मी है कि तुम मुझसे पर्दा करो 
अपनी शादी के दिन अब नहीं दूर हैं 
मैं भी तड़पा करूं 
तुम भी तड़पा करो 

बड़ी मुश्किल है, ये मेरा दिल है 
बड़ी मुश्किल है, ये मेरा दिल है 
तुम ही कहो कैसे मैं चुप रहूं
तुम अगर सामने आ भी जाया करो 
लाज़मी है कि मैं तुमसे पर्दा करूं