ऐ दिल लाया है बहार अपनों का प्यार क्या कहना - The Indic Lyrics Database

ऐ दिल लाया है बहार अपनों का प्यार क्या कहना

गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी | गायक - कविता कृष्णमूर्ति, हरिहरन | संगीत - राजेश रोशन | फ़िल्म - क्या कहना | वर्ष - 1999

View in Roman

ओ ओ ओ ऐ दिल लाया है बहार अपनों का प्यार क्या कहना
मिले हम छलक उठा खुशी का खुमार क्या कहना
खिले खिले चेहरों से आज घर है मेरा गुल-ए-गुलज़ार क्या कहना
खिले खिले चेहरों से ...हम तुम यूं ही मिलते रहें महफ़िल यूं ही सजती रहे
बस प्यार की यही एक धुन हर सुबह-ओ-शाम बजती रहे
गले में महकता रहे प्यार भरी बाहों का हार क्या कहना
खिले खिले चेहरों से ...दिल का कोई टुकड़ा कभी दिल से जुदा होता नहीं
अपना कोई जैसा भी हो अपना है वो दूजा नहीं
यही वो मिलन है जो सचमुच है दिल का करार क्या कहना
खिले खिले चेहरों से ...कुछ अपने ही तक यूं नहीं ये है सवाल सबके लिए
जीना है तो जग में जियो बनके मिसाल सबके लिए
देखो कैसा महक रहा प्यार भरी बाहों का हार क्या कहना
खिले खिले चेहरों से ...जो हो गया सो हो गया लोगों से तू डरना नहीं
साथी तेरे हैं और भी दुनिया में तू तनहा नहीं
सामना करेंगे मिलके चाहें दस हों चाहें दस हज़ार क्या कहना
खिले खिले चेहरों से आज जग है मेरा मेरा गुल-ए-गुलज़ार क्या कहना
हो ओ हो ओ
ऐ दिल लाया है बहार ...