जीना मरना है अब दिन रात तेरे साथो - The Indic Lyrics Database

जीना मरना है अब दिन रात तेरे साथो

गीतकार - आनंद बख्शी | गायक - मोहम्मद रफ़ी, सुमन कल्याणपुर | संगीत - लक्ष्मीकांत, प्यारेलाल | फ़िल्म - सूरज और चंदा | वर्ष - 1973

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जीना-मरना है अब दिन-रात तेरे साथ तेरी बाँहों में
चलना-रुकना है अब दिन-रात तेरे साथ तेरी बाँहों मेंइन राहों में ख़्वाब हमने देखे हैं
जाने तक़दीर में क्या है
ख़्वाब मैं जानूँ न तुम जानो
जाने तक़दीर में क्या है
हाँ मेरे ख़्वाबों की हो ताबीर इन निगाहों में
वो आँखें मिला के बैठे रहे
कुछ न तेरे बिन देखूँ
देखो जाऊँ अकेला मैं न डूब महबूब कहीं आहों में
जीना-मरना है ...इक कहने की बात है ये करने की बात नहीं है
हाँ प्यार में मेरे यार कोई डरने की बात नहीं है
दुनिया प्यार को करती बदनाम लिखे नाम क्यों ग़ुनाहों में
जीना-मरना है ...