जब रात की तनहाई दिल बन के धड़कती है - The Indic Lyrics Database

जब रात की तनहाई दिल बन के धड़कती है

गीतकार - बशीर बद्री | गायक - आशा भोसले | संगीत - हरिहरन | फ़िल्म - आबशार-ए-ग़ज़ल | वर्ष - 1985

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जब रात की तनहाई दिल बन के धड़कती है
यादों के दरीचे में चिलमन सी सरकती है
यूँ प्यार नहीं छुपता पलकों के झुकाने से
आँखों के लिफ़ाफों में तहरीर चमकती है
खुश रंग परिन्दों के लौट आने के दिन आए
बिछड़े हुए मिलते हैं जब बर्फ़ पिघलती है
शोहरत की बुलन्दी भी पल भर का तमाशा है
जिस डाल पे बैठे हो वो टूट भी सकती है