शक़ नहीं रुपये में पाई का - The Indic Lyrics Database

शक़ नहीं रुपये में पाई का

गीतकार - सरशर सैलानी | गायक - लता | संगीत - रोशन | फ़िल्म - रागरंग | वर्ष - 1952

View in Roman

शक़ नहीं रुपये में पाई का
दुनिया है नाम सफ़ाई का
ये दुनिया हेरा फेरी है
कभी तेरी है तो कभी मेरी है
तुंदुना तुंदुना शूर, कली कलिंगन शूर
ओ ओ ओ बाबूजी, ओ बाबूजी, खेल सफ़ाई का
शक़ नहीं
चटक चटक चटकारे लेकर
सुनने वाले मेरे तराने
मुफ़्त बारी के गये ज़माने
जल्द निकालो दो दो आने
ओ ना ना एक आना हम नहीं माँगता
दिन है ये महंगाई का
शक़ नहीं
धन दौलत के मतवालों की
हर बात निराली होती है
बाज़ार में निकले दीवाला
और घर में दीवाली होती है
है ये भी रंग कमाई का
शक़ नहीं $