शाम-ए-ग़म की क़सम - The Indic Lyrics Database

शाम-ए-ग़म की क़सम

गीतकार - सरदार जाफरी, मजरूही | गायक - तलत | संगीत - खय्याम | फ़िल्म - फुटपाथ | वर्ष - 1953

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शाम-ए-ग़म की क़सम आज ग़मगीं हैं हम
आ भी जा आ भी जा आज मेरे सनम
शाम-ए-ग़म की क़सम
दिल परेशान हैं रात वीरान हैं
देख जा किस तरह आज तनहा हैं हम
शाम-ए-ग़म की क़सम
चैन कैसा जो पहलू में तू ही नहीं
मार डाले न दर्द-ए-जुदाई कहीं
रुत हंसीं हैं तो क्या चाँदनी है तो क्या
चाँदनी ज़ुल्म है और जुदाई सितम
शाम-ए-ग़म की क़सम
अब तो आजा के अब रात भी सो गई
ज़िन्दगी ग़म के सेहराव में खो गई
ढूँढती हैं नज़र तू कहाँ हैं मगर
देखते देखते आया आँखों में ग़म
शाम-ए-ग़म की क़सम$