शाम-ए-बहार आई - The Indic Lyrics Database

शाम-ए-बहार आई

गीतकार - मजरूह | गायक - सुरैया, रफ़ी, सहगान | संगीत - हुस्नलाल -भगतराम | फ़िल्म - शमा परवाना | वर्ष - 1954

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शाम-ए-बहार आई
करके सिंगार आई
ख़ाबों के हार लाई
अब्र-ए-बहार छया
पैग़ाम-ए-यार लाया
दिल को क़रार लाया
शाम-ए-बहार आई
करके सिंगार आई
ख़ाबों के हार लाई
आया ख़ुशी का ज़माना
उल्फ़त ने छेड़ा तराना
होंठों पे दिल की हैं बातें
आईं मोहब्बत की रातें
झुकने लगीं क्यूँ निगाहें
निगाहें
दिल से मिलीं दिल की राहें
राहें
उनका पयाम आया
दिल का सलाम आया
होंठों पे ना-ए-ख़ुदा
किसका ये नाम आया
शाम-ए-बहार आई
करके सिंगार आई
ख़ाबों के हार लाई
अब्र-ए-बहार छया
पैग़ाम-ए-यार लाया
दिल को क़रार लाया
उठेगी पलकों की चिलमन
बढ़ेगा उल्फ़त का दामन
दिलों के ग़ुंचे खिलेंगे
मेरे मसीहा मिलेंगे
कमी है दर्द-ए-जिगर में
जिगर में
हँसते हैं अरमाँ नज़र में
नज़र में
उनका पयाम आया
दिल का सलाम आया
होंठों पे ना-ए-ख़ुदा
किसका ये नाम आया
शाम-ए-बहार आई
करके सिंगार आई
ख़ाबों के हार लाई
अब्र-ए-बहार छया
पैग़ाम-ए-यार लाया
दिल को क़रार लाया$